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10) नर हो न निराश करो मन को

10) विषय-नर हो  न निराश करो मन 

           को

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नर हो,मन को न निराश करो ।

हिमालय हो,मन मजबूत करो।।


कर सकते हो,हर कठिन काज।

क्यों घबराते हो,रखो मन आस।।


टक्कर लेते हो,पाषाण से तुम।

हिम्मत रखते हो,सफल होते तुम।।

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आभा मिश्रा-कोटा

(स्वरचित एवं मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित©®)


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1 Comments

बेहतरीन

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